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सोशल मीडिया पर आदिवासी को राष्ट्रपति बनाने की मुहिम लाई रंग

गत माह तीर्थराज लोहार्गल में मीणा समाज की बड़ी मीटिंग में सुरेश मीणा किशोरपुरा ने समाज के लोगों के बीच मुहिम चलाने की रखी थी बात सर्वसम्मति से लिया था निर्णय

एनडीए द्वारा पहले आदिवासी महिला द्रोपती मुर्मू को राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाए जाने के फैसले का स्वागत

लोहार्गल की जमीं से उठी थी देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के लिए आदिवासी का चयन करने की मांग

ब्यूरो रिपोर्ट उदयपुरवाटी। एनडीए से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति कैडिटेड घोषित किए जाने पर आदिवासी नेता सुरेश मीणा किशोरपुरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट हुए प्रसन्नता जताई है। गौरतलब है कि गत माह प्रसिद्ध तीर्थराज लोहार्गल में शेखावाटी के मीणा समाज की बड़ी मीटिंग में आदिवासी श्री मीन सेना के प्रदेश प्रमुख सुरेश मीणा ने देश में इस बार आदिवासी को राष्ट्रपति बनाने की प्रमुखता से मांग उठाई। बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से देशभर में इस मुहिम को चलाने का महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया था। सच्चाई यह भी है कि यह मुहिम शेखावाटी की धरा से देश भर में खूब चली सुरेश मीणा किशोरपुरा ने कहा कि पहली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद के करीब पहुंचाने वाले एनडीए सरकार का श्री मीन सेना खुले दिल से स्वागत करती है। उनका कहना था कि हजारों लाखों आदिवासियों की भावनाओं के अनुरूप पार्टी ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाया है।

कौन है द्रोपति मुर्मू

द्रोपति मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा में हुआ था। वह दिवंगत बिरंचि नारायण टुडू की बेटी है। मुर्मू की शादी श्याम चर्म मुर्मू से हुई थी। द्रोपति मुर्मू उड़ीसा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती है। उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडीशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गई। 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थी। मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थी। द्रोपति मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। द्रोपति मुर्मू ओडिशा में दो बार बीजेपी की विधायक रह चुके हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थी। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी। ओडिशा विधानसभा ने द्रोपति मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। द्रोपति मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया था और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी है। झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने मुर्मू को शपथ दिलाई थी। द्रोपति मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया। पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ है द्रोपति मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और भी भाजपा के लिए बड़ा आदिवासी चेहरा है।

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